Click to Join

शरीर का तापमान (Human Body Temprature) 98.7 फारेनहाइट या 37 से 37.5 सेल्सियस होता है। मनुष्य गर्म खून वाला प्राणी है। भले ही परिसर का तापमान 15 सेल्सियस (जैसा कि लद्दाख, श्रीनगर में हो सकता है) से 47 सेल्सियस (जैसा कि राजस्थान, विदर्भ में हो सकता है) से भिन्न होता है, हमारा शरीर 98.7 फ़ारेनहाइट पर अपना तापमान बनाए रखता है।

लेकिन यह कैसे होता है (Why Fever in Human Body) ? हम आपको इस ब्लॉग में इसके बारे में बताने जा रहे हैं, तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें

हमारे मस्तिष्क का एक तापमान नियंत्रण केंद्र है । इस केंद्र के कार्य करने के कारण ही तापमान नियंत्रण में रहता है। दिनभर तापमान में 1.5 सेल्सियस का अंतर सामान्य रूप से दिन के दौरान हो सकता है। यदि इससे अधिक परिवर्तन होता है तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शरीर में मेटाबॉलिज्म (Metabolisam) से ऊर्जा पैदा होती है और शरीर को पर्यावरण से भी ऊर्जा मिलती है। शरीर से ऊर्जा ठंडे पदार्थों तक प्रवाहित होती है, और यदि परिवेश का तापमान कम होता है तो पर्यावरण के लिए संवहन भी होता है।

शरीर पसीने के माध्यम से ऊर्जा छोड़ता है क्योंकि इसका उपयोग शरीर को ठंडा करने के लिए पसीने के बाष्पीकरण में किया जाता है। इसके विपरीत, ठंड के मौसम में शरीर गर्मी जमा करता है। शरीर कीटाणुओं से बचाव के रूप में बुखार के रूप में भी प्रतिक्रिया करता है। वह बढ़ा हुआ तापमान शरीर में प्रवेश करने वाले कीटाणुओं के विकास को रोकता है। कीटाणुओं के प्रभाव से कुछ रसायन निकलते हैं, जिससे मस्तिष्क में तापमान नियंत्रण केंद्र का कार्य गड़बड़ा जाता है और बुखार(Fever) आ जाता है।

इसलिए सर्दी के बुखार(हिवताप) जैसे रोगों में बुखार आ जाता है। इस तरह के बुखार के कारण शरीर,गर्मी को बाहर निकलने के बजाय शरीर में अधिक गर्मी पैदा करता है। क्योंकि तापमान नियंत्रण केंद्र में खराबी है। paracetamol जैसी गोली बुखार से राहत दिलाती है। लेकिन सिर्फ बुखार को कम करने के बजाय बुखार के मूल कारण (Basic cause of Fever) को खत्म करना जरूरी है। बुखार तेज होने पर ठंडे पानी से शरीर को पोंछने, माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखने से भी बुखार कम होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *